शिव बाबा धाम
शिव बाबा मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य के अकबरपुर में भोलेनाथ का एक आकर्षक तीर्थ स्थल है। यह अकबरपुर के अयोध्या हरलालका रोड में स्थित है, जो कि श्री बाबा पंडित कमला जी ब्रम्ह स्थान से लगभग ३५ किलोमीटर तथा जिला मुख्यालय अकबरपुर से ७ किलोमीटर पश्चिम दिशा में है इस मंदिर में बड़ा परिसर है जिसके अंदर भगवान शिव की एक बहुत प्रसिद्ध मूर्ति स्थित है। भगवान की प्रतिमा एक विशाल वृक्ष के बहुत निकट स्थित है। कई देवताओं को मुख्य श्रद्धेय मूर्ति के करीब रखा गया है और देव प्रतिमाओं के पास हाथी मूर्तियों के चित्र भी अंकित हैं। प्रवेश द्वार में विभिन्न प्रकार के बेलों का एक गुच्छा स्थापित किया गया है जो इस उल्लेखनीय मंदिर की विशेषता है। कार्यालयीय निवासियों का कहना है कि यह एक बहुत ही अनोखा मंदिर है और इसे भगवान शिव के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थों में से एक माना जाता है. इस प्राचीन और पवित्र मंदिर में सबसे लोकप्रिय शिव अवसर शिव महा शिवरात्रि ’मनाया जाता है। यह हिंदू संस्कृति का अनुसरण करने वाले लोगों द्वारा प्रसिद्ध उत्सव मनाने के लिए एक बहुत ही पवित्र कार्यालय है। महादेवा की मन्नत की एक झलक पाने के लिए सड़कों पर लोगों की भीड़ के साथ शहर के भीतर बड़ी कारसेवाएं की जाती हैं। मेलों का आयोजन किया गया है और लोग अक्सर शिवरात्रि की रात को उपवास करते हैं और भगवान शिव के नाम पर भजन गाते हैं और स्तुति करते हैं। दुनिया भर से भक्त इन श्रद्धालुओं को इस श्रद्धालु के दिन सौभाग्य प्राप्त करने के लिए इन मंदिरों में जाते हैं। नारंगी कपड़े पहनने वाले कांवरिया नंगे पांव यात्रा करते हैं और श्रावण मास के दौरान लिंगम पर चढ़ाने के लिए कमंडल में दिव्य जल लाते हैं।
श्रवण क्षेत्र धाम
पौराणिक दृष्टिकोण से अम्बेडकर नगर जिले में माता और पिता की सेवा करने वाले भक्त पुत्र श्रवण कुमार के नाम से जुड़ा है , यह तमसा एवं विसुई नदी के संगम पर स्थित है। जहां अयोध्या नरेश महाराज दशरथ ने इसी संगम तट पर श्रवण कुमार को उस समय मार दिया था, जब श्रवण अपने अंधे माता पिता के लिए नदी से जल लेने गए थे। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा इस स्थल का चयन पर्यटन के लिए किया गया है और हर वर्ष यहां मेले का आयोजन भी होता है। कटेहरी विकास खंड की ग्राम पंचायत चिउंटीपारा स्थित उक्त धाम पर प्रतिवर्ष अगहन पूर्णिमा को मेला लगता है। मान्यता है कि त्रेता युग में महात्मा श्रवण कुमार अपने अंधी माता चंद्रकला व पिता उद्यान ऋषि को कांवड़ में बैठाकर पैदल चारों धाम की यात्रा पर निकले थे। तमसा नदी के उक्त संगम स्थल पर माता-पिता की प्यास बुझाने के लिए पानी लेने श्रवण कुमार गए थे। अयोध्या के राजा दशरथ शिकार पर थे। पानी में कमंडल डुबोने की आवाज को हिरन समझ राजा दशरथ ने शब्दभेदी बाण चला दिया। जिससे श्रवण कुमार ने यहीं प्राण त्याग दिया। इससे दुखी राजा दशरथ क्षमा मांगने के लिए उनके माता-पिता के पास पहुंचे । उन्होंने राजा दशरथ को भी पुत्र वियोग में प्राण देने का श्राप दिया। इसका उल्लेख धार्मिक ग्रंथो में भी मिलता है। श्रवण कुमार की उक्त निर्वाण स्थली पर सदियों से तीन दिवसीय मेले का आयोजन होता आ रहा है। पूर्णिमा के पुण्य फल की प्राप्ति के लिए वृद्ध महिलाओं, पुरुषों की भीड़ स्नान के उद्देश्य से ही उमड़ती है। इसी भीड़ से मेला परिसर दिन भर श्रवण कुमार के जयकारे से गूंजता है। इस पौराणिक श्रवण क्षेत्र से लगभग ४० किलोमीटर पूरब दिशा की तरफ किछौछा धाम में बाबा श्री कमला पंडित ब्रम्ह स्थान का मन्दिर स्थित है यहाँ भी प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन मेला लगता है जहाँ पे सिर्फ जिले के ही नही बल्कि अन्य राज्यों के लोग भी अपनी मनौतियों के लेकर आते है इस दरबार में बिभिन्न प्रकार के रोग एवं बलाय से मुक्ति पाते है
बाबा मखदूम अशरफ
अंबेडकर नगर जिले में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रसिद्ध सूफी संत मखदूम अशरफ सिमनानी की दरगाह किछौछा में स्थित है । जो कि उनसे पूर्व योगियों का मठ हुआ करता था नीर सरोवर की खुदाई इन 500 योगी शिष्यों के द्वारा स्नान करने के लिए बनाया गया था | इस सूफी संत के बारे में कहा जाता है कि ईरान के सिमनान प्रान्त के ये बादशाह थे। लेकिन अचानक इनका मोह शासन से भंग हो गया और ये अपना शासन छोड़कर ख़ुदा की इबादत करने के लिए बादशाहत त्याग कर निकल पड़े और भ्रमण करते हुए किछौछा धाम में आये यह स्थान इन्हे मनमोहक लगा क्यूँकि उस समय यह उपवन था यहाँ आकर कृपानिधान दीनदयाल भक्तवत्सल अनंत श्री बाबा कमला पंडित जी महाराज से मिले और पंडित कमला जी महाराज से इजाज़त लेकर तालाब के किनारे जिसे आज बैठका के नाम से जाना जाता है यहाँ (40) चालिस वर्ष तक ख़ुदा (ईश्वर) की इबादत (तपस्या ) किये जनश्रुतियों के अनुसार दोनो ईश्वर के उपाशक संत थे, इसलिए दोनो में घनिष्ट मित्रता भी थी और साथ मिलकर दोनो जनकल्यान का कार्य करते आ रहे हैं। तथा वर्तमान में स्थित इन्ही के मजार से लगभग 500 मीटर उत्तर दिशा में स्थित बाबा श्री पंडित कमला जी महाराज ब्रम्ह देव जी पवित्र पावन तपो एवं समाधि स्थली देवस्थान प्राचीन काल से ही विद्यमान है
औघड़ बाबा मन्दिर
बाबा औघड़ जी महाराज का मन्दिर जिला अम्बेडकरनगर में स्थित जलालपुर तहसील में किछौछा बाज़ार से सटे हुए ग्राम जीवत ( जौतिया ) में स्थित है हालांकि इनके बारे में विस्तृत जानकारी नहीं मिलती है जनश्रुतियों के अनुसार - औघड़ बाबा जी के मन्दिर पर महीने के प्रत्येक सप्ताह के हर मंगलवार को भारी संख्या में गाँव के पास - पड़ोस के लोग का तथा दूर -दराज से भी लोग आते हैं इस दिन विशेष तौर पर लोग अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर सिर्फ दर्शन ही नही बल्कि हलवा पूरी बना कर चढ़ाते भी हैं | आपको बता दे की यह दरबार श्री बाबा कमला पंडित जी महाराज के मठ से तथा मखदूम अशरफ के मजार से सिर्फ ,लगभग ४ किलोमीटर दूर दक्षिण तथा पश्चिमी छोर पर स्थित है ।
बाबा गोविन्द साहब
अंबेडकर नगर और आजमगढ़ की सीमा पर स्थित गोविंद साहब धाम आस्था का केंद्र है। यहां हर साल एक माह का मेला लगता है और मान्यता है कि बाबा को गोविंद दशमी के दिन खिचड़ी चढ़ाने से हर मुराद पूरी हो जाती है। यहीं वजह है कि इस दिन यहां देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी भक्त बाबा के दर्शन के लिए पहुंचते है। यहाँ का मेला गोविन्द दशमी के दिन से प्रारम्भ होता है जो की लगभग सवा महीने ( ४५ दिन ) तक चलता है , और मान्यता है बाबा को खिचड़ी चढ़ाने से हर मनोकामना पूर्ण होती है ।
सन् 1709 में अवतरित हुए गुलाल पंथ के प्रवर्तक गुलाल साहब के शिष्य भीखा साहब के तमाम शिष्यों में प्रमुख शिष्य रहे बाबा गोविन्द साहब का जन्म अम्बेडकर नगर के जलालपुर थाना क्षेत्र के नगपुर गाँव में हुआ था आपके पिता का नाम श्री पृथुधर एवं माता श्री दुलारी देवी था आपके बचपन का नाम गोविन्दधर था वर्ष 1725 व विक्रमी संवत 1782 में अगहन मास शुक्ल पक्ष दशमी दिन मंगलवार को हुआ था । और आपके दरबार से लगभग 18 किलोमीटर दूर बसखारी बाजार से ४ किलोमीटर नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा में श्री बाबा कमला पंडित जी महाराज का प्राचीन मन्दिर स्थित है |